शास्त्रों और धार्मिक ग्रंथों में झाड़ू को मां लक्ष्मी का रूप माना गया है. दिवाली पर धनतेरस के दिन सबसे पहले झाड़ू की ही खरीदी होती है और झाड़ू की पूजा किए बगैर लक्ष्मी पूजन अधूरा माना जाता है. झाड़ू बनाने वाली कलाकार राखी जाधव ने कहा कि झाड़ू बनाने के लिए दूसरे जिले के घने जंगल में 15 से 20 दिन रहकर एक फलदार वृक्ष के पत्ते तोड़कर लाएं जाते है. इन पत्तो को निमाड़ में फाडिये कहते है. घर लाकर फाडियो को झाड़कर सुखाते है, फिर छोटे-छोटे टुकड़े कर लेते है, जिन्हे एक दिन पानी में भिगोकर रखते है.अगले दिन इन पत्तो में से बारीक - बारीक रेशे निकालकर इकट्ठे करके मुठ्ठी बनाई जाती है. इसे फिर आधे घंटे के लिए भिगोना पड़ता है. छोटी-छोटी पत्तियों को जोड़कर रस्सी के सहारे कसकर बांधते है. ऊपर से हत्थे पर इसी वृक्ष की चौड़ी पत्तियों को फोल्ड करके गजरा बनाया जाता है.
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दिवाली के दिन जिस झाड़ू की होती है पूजा, जानते हैं वह कैसे बनती है? यहां देखें
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October 28, 2023
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