मिलिए जमीं के कुछ ऐसे ही रहनुमाओं से, जो भोपाल शहर में अपने-अपने तरीकों से शारीरिक, मानसिक रूप से अपाहिज, बेसहारा लोगों, बेजुबान पशु-पक्षियोंं की जिंदगियों और प्रकृति की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है. खास बात यह है कि अपनी जीवन संगिनी के साथ यह काम करने वाले दो जोड़े हैं और एक जोड़ा मामा-भांजी का है, जो लैंगिक समानता का संदेश भी दे रहा है.
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