भारत द्विपक्षीय मामलों में अंतर्राष्ट्रीय दख़ल का पक्षधर कतई नहीं है. वर्ष 1972 में पाकिस्तान के साथ शिमला समझौता हो जाने के बाद भारत ने कश्मीर मामले में अंतर्राष्ट्रीय दख़ल को हमेशा हतोत्साहित किया है. भारत का कूटनयिक दबदबा ही है कि एंटोनियो गुटेरस समेत संयुक्त राष्ट्र के तीन महासचिव कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र में लंबित मामला नहीं मान चुके हैं. ऐसे में यूक्रेन और रूस के बीच यानी दो पक्षों में चल रहे संघर्ष को भारत द्विपक्षीय मसला मानते हुए इसमें किसी भी स्तर पर हस्तक्षेप नहीं करेगा, यह तय है.
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OPINION: रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान विश्व कूटनीति पर क्यों भारी है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच?
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March 03, 2022