एक वक्त ऐसा भी था जब भारत एक तरफ उदारवाद के दौर से गुजर रहा था और दूसरी तरफ वातावरण में जहरीली हवा घुल रही थी. प्रदूषण की मात्रा बढ़ती जा रही थी. देश को आगे बढ़ने के लिए वाहनों की ज़रूरत थी और जिंदा रहने के लिए साफ हवा की. लेकिन, दोनों बातें साथ में नहीं हो पा रही थीं. यह समझना मुश्किल हो रहा था कि आखिर वाहन इतना प्रदूषण क्यों कर रहे हैं.
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